
काशी विश्वनाथ धाम में काशीवासियों से दुर्व्यवहार करने पर उपजिलाधिकारी के खिलाफ मंत्री अनिल राजभर ने लिखा सीएम योगी को पत्र
रिपोर्ट राजेश कुमार यादव
वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ धाम में तैनात उपजिलाधिकारी शम्भू भूषण पर काशीवासियों के साथ दुर्व्यवहार और भेदभावपूर्ण रवैये का गंभीर आरोप लगने के बाद मामला गरमा गया है। कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर ने इस मामले में सीधे मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की है। कैबिनेट मंत्री से मिलकर ग्राम अखरी के निवासी मनोज कुमार राजभर ने इस संबंध शिकायत की थी। जिसके बाद अनिल राजभर ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।
प्रोटोकॉल के नाम पर विशेष सुविधा का आरोप
पत्र के अनुसार, धाम में आने वाले बाहरी व्यक्तियों को प्रोटोकॉल के नाम पर विशेष सुविधाएं और छूट दी जा रही हैं, जबकि काशीवासियों को लंबी कतारों में खड़े रहने के बावजूद उनके साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है। इतना ही नहीं, स्थानीय लोगों को जारी किए गए नियमित कार्ड के नवीनीकरण की प्रक्रिया भी रोक दी गई है, जिससे काशीवासियों में गहरा आक्रोश व्याप्त है।
शिकायतकर्ता मनोज कुमार राजभर
बाउंसरों और पी.आर.ओ. पर भी आरोप
शिकायत में यह भी उल्लेख है कि मंदिर परिसर में तैनात बाउंसरों और तथाकथित पीआरओ द्वारा भी काशीवासियों के साथ अभद्र व्यवहार की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इन मामलों की जानकारी उपजिलाधिकारी को दी गई, लेकिन उनकी ओर से किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई, उलटे बदसलूकी करते हुए भगा दिया गया।
मंत्री अनिल राजभर ने उठाई आवाज
इस प्रकरण को गंभीर मानते हुए श्रम एवं सेवायोजन समन्वय मंत्री अनिल राजभर ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर तत्काल संज्ञान लेने की मांग की है। मंत्री ने कहा है कि यदि आरोपों की पुष्टि होती है तो दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों।
स्थानीयों में नाराज़गी, प्रशासन पर सवाल
इस पूरे घटनाक्रम ने स्थानीय समुदाय में गहरी नाराज़गी पैदा कर दी है। काशीवासी मंदिर प्रशासन से पारदर्शिता और निष्पक्ष व्यवहार की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि श्री काशी विश्वनाथ धाम केवल बाहरी आगंतुकों के लिए नहीं, बल्कि काशी के निवासियों की आस्था और पहचान का केंद्र है, ऐसे में उनके साथ भेदभाव अस्वीकार्य है।
फिलहाल, इस मामले पर प्रशासन या उपजिलाधिकारी शम्भू भूषण की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। लेकिन काशीवासियों के बीच यह मुद्दा व्यापक चर्चा का विषय बन गया है और सभी की निगाहें अब मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर टिकी हुई हैं।