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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रकट उत्सव का समापन हुआ

अतिथियों के द्वारा संघ के कार्य बताए गए बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हुए

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रकट उत्सव का समापन हुआ
अतिथियों के द्वारा संघ के कार्य बताए गए बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हुए
रिपोर्ट पवन सावले
खलघाट धार
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मालवा प्रांत के विद्यालयीन एवं महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के 15 दिवसीय संघ शिक्षा वर्ग का प्रकट कार्यक्रम जनता जिनिंग, महेश्वर रोड़ धामनोद में सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता श्री बलिराम पटेल अखिल भारतीय सामाजिक सद्भाव सहसंयोजक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने उद्बोधन में कहा कि संघ का आधार सत्य का है। संघ की शाखा में स्वयंसेवक अनुशासन सीखता है। स्वयंसेवक समाज को अपना अंगभूतघटक मानता है। समाज का कष्ट मेरा कष्ट है। स्वयंसेवक समाज का दर्पण है।
1962 में चीन के आक्रमण के समय सैनिकों के लिए जो हो सकता था सभी कार्य संघ के स्वयंसेवको ने किया।
1965 के युद्ध मे दिल्ली के यातायात व्यवस्था कार्य स्वयंसेवको ने सम्भाला। मिलिट्री अस्पताल में रक्तदान स्वयंसेवको ने किया। चरित्र ओर अनुशासन में स्वयंसेवको के कारण अनेको ग्रामो का कायाकल्प हुआ है। कन्याकुमारी में स्थित विवेकानंद शिला स्मारक के लिए संघ ने विचार किया कि यहां कोई ऐसा केंद्र स्थापित होना चाहिए जिससे राष्ट्रभाव जागृत हो सके और अभियान प्रारंभ हुआ।
विवेकानंद समिति का गठन किया उसके लिए बहुत प्रकार के संघर्ष किये स्वयंसेवको ने देश से एक एक रुपया इकट्ठा किया। 1952 में स्वयंसेवको ने देशभर में गौरक्षा अभियान में पौने दो करोड़ हस्ताक्षर कराये। स्वयंसेवको ने देश पर आपत्ति आने पर कार्य किया। मोरबी के बांध टूटने पर स्वयंसेवको ने लाशों को उठाया।
नागरिको को अपने कर्तव्य का पालन करना होगा। अंत में मुख्य वक्ता ने कार्यक्रम में उपस्थित स्वयंसेवक, संत समाज, मातृशक्ति व सज्जनवृंद से आव्हान किया कि समाज परिवर्तन के पंच प्राण सामाजिक समरसता, कुटुंब व्यवस्था, पर्यावरण, स्वदेशी व नागरिक अनुशासन में अपनी भूमिका सुनिश्चित करे जिससे कि जैसा राष्ट्र हम चाहते है वैसा बना सकते है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित धामनोद नगर की प्रसिद्ध चिकित्सक व समाजसेवी सुश्री डॉ. कुसुम पाटीदार ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मानव निर्माण, समाज परिवर्तन और राष्ट्र निर्माण का पुनित पावन कार्य कर रहा है। राष्ट्र किसी भवन का नाम या नक्शा नहीं होता है जिसकी मरम्मत या फिर इसके अनुसार किसी तरह का कोई निर्माण कार्य किया जा सके , राष्ट्र भावना होती है।
भारतीय सभ्यता और राष्ट्रीयता एक दूसरे पर अवलम्बित है। राष्ट्र निर्माण के लिए समस्त समाजजन को अपने स्तर से भावना व्यक्त कर कार्य करना होगा। सभी नागरिकों में संस्कृति और विरासत के प्रति जागरूकता सबसे ज्यादा जरूरी तत्व है ।
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