यादों की स्याही और कागज की खुशबू
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यादों की स्याही और कागज की खुशबू

एक युग का अंत: अलविदा ‘रजिस्टर्ड पोस्ट’, यादों की स्याही और कागज़ की ख़ुशबू 1 सितंबर 2025 से, भारतीय डाक…
सभी पशु दूध पीते है अपनी माँ का
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सभी पशु दूध पीते है अपनी माँ का

दूध असल में अत्यधिक कामोत्तेजक आहार है और मनुष्य को छोड़कर पृथ्वी पर कोई पशु इतना कामवासना से भरा हुआ…
निजता बनाम पारदर्शिता
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निजता बनाम पारदर्शिता

निजता बनाम पारदर्शिता : भारतीय चुनावी परिप्रेक्ष्य में एक संवैधानिक विमर्श भारतीय लोकतंत्र की सफलता का आधार उसकी पारदर्शिता और…
द ग्रेट बिहार पॉलिटिक्स
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द ग्रेट बिहार पॉलिटिक्स

“द ग्रेट बिहार पॉलिटिक्स” : 1995-2005 का निर्णायक दशक भारतीय राजनीति में बिहार सदैव एक प्रयोगशाला रहा है। यदि कहा…
मीडिया घोषणा पत्र
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मीडिया घोषणा पत्र

मीडिया घोषणापत्र : पत्रकारिता की आत्मा बचाने का चार्टर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की नींव डगमगा चुकी है। सत्ता की…
जब नियमन झुकता है और जबाबदेही उड़नछू हो जाती है
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जब नियमन झुकता है और जबाबदेही उड़नछू हो जाती है

“हवा में मौत की छाया: जब नियमन झुकता है, और जवाबदेही उड़नछू हो जाती है” 12 जून को अहमदाबाद में…
सच की चीख और मीडिया मौन लोकतंत्र का लहूलुहान आईना
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सच की चीख और मीडिया मौन लोकतंत्र का लहूलुहान आईना

सच की चीख और मीडिया का मौन: लोकतंत्र का लहूलुहान आईना आज जब हर जेब में कैमरा है और हर…
लोकतंत्र का लहू लुहान आईना
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लोकतंत्र का लहू लुहान आईना

सच की चीख और मीडिया का मौन: लोकतंत्र का लहूलुहान आईना आज जब हर जेब में कैमरा है और हर…
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