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संतशिरोमणि गुरु रविदास* (24 फरवरी,2024 जयंती पर विशेष रविदास जी 15 वीं-16 वीं शताब्दी में एक महान संत

*संतशिरोमणि गुरु रविदास* (24 फरवरी,2024 जयंती पर विशेष रविदास जी 15 वीं-16 वीं शताब्दी में एक महान संत, दार्शनिक,कवि,समाज सुधारक और भारत में भगवान के अनुयायी हुआ करते थे।निर्गुण सम्प्रदाय के ये बहुत प्रसिद्ध संत थे, जिन्होंने उत्तरी भारत में भक्ति आन्दोलन का नेतृत्व किया था। रविदास जी बहुत अच्छे कवितज्ञ थे, इन्होने अपनी रचनाओं के माध्यम से, अपने अनुयायीयों, समाज एवं देश के कई लोगों को धार्मिक एवं सामाजिक सन्देश दिया। रविदास जी की रचनाओं में उनके अंदर भगवान् के प्रति प्रेम की झलक साफ़ दिखाई देती थी। वे अपनी रचनाओं के द्वारा दूसरों को भी परमेश्वर से प्रेम के बारे में बताते थे, और उनसे जुड़ने के लिए कहते थे। आम लोग उन्हें मसीहा मानते थे, क्योंकि उन्होंने सामाजिक और आध्यात्मिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बड़े बड़े कार्य किये थे। कई लोग इन्हें भगवान् की तरह पूजते थे, और आज भी पूजते है।रविदास जी उत्तरप्रदेश, पंजाब एवं महाराष्ट्र में सबसे अधिक प्रसिद्ध और पूजनीय है।

गुरु रविदास जी का जन्म वाराणसी के पास सीर गोबर्धनगाँव में हुआ था। इनकी माता कलसा देवी एवं पिता संतोख दास जी थे। रविदास जी के जन्म पर सबकी अपनी अपनी राय है, कुछ लोगों का मानना है इनका जन्म 1376-77 के आस पास हुआ था, कुछ कहते हैं 1399 ईसवी में हु था। कुछ दस्तावेजों के अनुसार रविदास जी ने 1450 से 1520 के बीच अपना जीवन धरती में बिताया था।इनके जन्म स्थान को अब ‘श्री गुरु रविदास जन्म स्थान’ कहा जाता है। रविदास जी के पिता राजा नगर राज्य में सरपंच हुआ करते थे। इनका काम जूते बनाने और सुधारने का काम हुआ करता था। रविदास जी के पिता मरे हुए जानवरों की खाल निकालकर उससे चमड़ा बनाते और फिर उसकी चप्पल बनाते थे।

रविदास जी बचपन से ही बहुत बह को बहुत मानने वाले थे। रविदास जी को बचपन से ही उच्च कुल वालों की हीन भावना का शिकार होना पड़ा था। वे लोग हमेशा इस बालक के मन में उसके उच्च कुल के न होने की बात डालते रहते थे। रविदास जी ने समाज को बदलने के लिए अपनी कलम का सहारा लिया, वे अपनी रचनाओं के द्वारा जीवन के बारे में लोगों को समझाते।लोगों को शिक्षा देते कि इन्सान को बिना किसी भेदभाव के अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम करना चाहिए। संत रविदास मंदिर परिसर खाचरोद से भव्य चल समारोह आयोजित किया गया नगर के मुख्य मार्गो में जगह जगह स्वागत किया गया

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