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(कुशलगढ़ जिला बांसवाड़ा राजस्थान रिपोर्टर धर्मेंद्र सोनी,)(भाजपा में खुशी तो, कांग्रेस में गम ,तो वागढ़ की राजनीति में कौन दिखाएगा दमखम !जब से बासवाडा संभाग की राजनीति में एक बार सांसद तथा दो बार मंत्री रहे महेंद्रजीत सिंह मालवीया ने कांग्रेस को अलविदा क्या कहा लगता है कांग्रेस गम में डूब चुकी है वहीं भाजपा में नई क्रांति के संचार को लेकर भाजपा पूरे दमखम के साथ महेंद्रजीत सिंह स्वागत सत्कार में कोई कमी नहीं छोड़ रही है वागड़ की राजनीति में मालवीय का अलग ही एक नाम व पहचान है आज उनके बारे में कांग्रेस पार्टी के राजनेता कुछ भी फ़त्तियां कसे लेकिन महेंद्रजीत सिंह मालविया को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि राजनीति में उन्हें चाणक्य भी कहा जाए या राजनीति का बेताज बादशाह भी कहा जाए तो काम नहीं यदि मालवीय ने सनातन में आस्था रखते हुए केसरिया रंग में रंग कर भाजपा का दामन थामा है तो उन्होंने सोच समझकर कांग्रेस को अलविदा कर भाजपा संगठन में आस्था जताई है इतना ही नहीं महेंद्र सिंह मालवीया ने अपना विधायक पद भी छोड़ दिया है ऐसे में आने वाला लोकसभा चुनाव में यदि भारतीय जनता पार्टी और संगठन उन्हें संसद के टिकट पर चुनावी चेहरा बनाकर चुनावी रण में भाजपा मालवीय को मौका देती है तो कहीं ना कहीं बांसवाड़ा डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस का कमजोर होना कहीं ना कहीं कांग्रेस को नुकसान दे सकते है चुकी पूर्व में जब मंत्री मालविया थे तब गुटबाजी के शिकार की बाते भी आती जाती रही थी मालविया क़यो कांग्रेस से खफा हुए आखर मालवीय को कौन सी टीस ने कांग्रेस को अववीदा होने के लिए कदम उठाना पड़ा यह तो मालवीय ही जाने मगर एक बात सत्य है कि वागड़ के राजनीतिक चाणक्य ने अब भाजपा में कदम रखा है तो कहीं ना कहीं कांग्रेस में गम और भाजपा में दम दिखाई देने लगा है अंदर खाने से खबर यह भी आ रही है कि डूंगरपुर बांसवाडा संसदीय क्षेत्र मेंममालविया के जो सिपा सलाहकार रहेववो भी अब धीरे-धीरे भाजपा की ओर सनातन में विश्वास कर केसरिया रंग में रंग आगमन कर सकते हैं यह तो वक्त ही बताया कि वागड की राजनीति का ऊट किस करवट बदलेगा यह तो वक्त ही बताएगा?

(कुशलगढ़ जिला बांसवाड़ा राजस्थान रिपोर्टर धर्मेंद्र सोनी,)(भाजपा में खुशी तो, कांग्रेस में गम ,तो वागढ़ की राजनीति में कौन दिखाएगा दमखम !जब से बासवाडा संभाग की राजनीति में एक बार सांसद तथा दो बार मंत्री रहे महेंद्रजीत सिंह मालवीया ने कांग्रेस को अलविदा क्या कहा लगता है कांग्रेस गम में डूब चुकी है वहीं भाजपा में नई क्रांति के संचार को लेकर भाजपा पूरे दमखम के साथ महेंद्रजीत सिंह स्वागत सत्कार में कोई कमी नहीं छोड़ रही है वागड़ की राजनीति में मालवीय का अलग ही एक नाम व पहचान है आज उनके बारे में कांग्रेस पार्टी के राजनेता कुछ भी फ़त्तियां कसे लेकिन महेंद्रजीत सिंह मालविया को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि राजनीति में उन्हें चाणक्य भी कहा जाए या राजनीति का बेताज बादशाह भी कहा जाए तो काम नहीं यदि मालवीय ने सनातन में आस्था रखते हुए केसरिया रंग में रंग कर भाजपा का दामन थामा है तो उन्होंने सोच समझकर कांग्रेस को अलविदा कर भाजपा संगठन में आस्था जताई है इतना ही नहीं महेंद्र सिंह मालवीया ने अपना विधायक पद भी छोड़ दिया है ऐसे में आने वाला लोकसभा चुनाव में यदि भारतीय जनता पार्टी और संगठन उन्हें संसद के टिकट पर चुनावी चेहरा बनाकर चुनावी रण में भाजपा मालवीय को मौका देती है तो कहीं ना कहीं बांसवाड़ा डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस का कमजोर होना कहीं ना कहीं कांग्रेस को नुकसान दे सकते है चुकी पूर्व में जब मंत्री मालविया थे तब गुटबाजी के शिकार की बाते भी आती जाती रही थी मालविया क़यो कांग्रेस से खफा हुए आखर मालवीय को कौन सी टीस ने कांग्रेस को अववीदा होने के लिए कदम उठाना पड़ा यह तो मालवीय ही जाने मगर एक बात सत्य है कि वागड़ के राजनीतिक चाणक्य ने अब भाजपा में कदम रखा है तो कहीं ना कहीं कांग्रेस में गम और भाजपा में दम दिखाई देने लगा है अंदर खाने से खबर यह भी आ रही है कि डूंगरपुर बांसवाडा संसदीय क्षेत्र मेंममालविया के जो सिपा सलाहकार रहेववो भी अब धीरे-धीरे भाजपा की ओर सनातन में विश्वास कर केसरिया रंग में रंग आगमन कर सकते हैं यह तो वक्त ही बताया कि वागड की राजनीति का ऊट किस करवट बदलेगा यह तो वक्त ही बताएगा?

(कुशलगढ़ जिला बांसवाड़ा राजस्थान रिपोर्टर धर्मेंद्र सोनी,)(भाजपा में खुशी तो, कांग्रेस में गम ,तो वागढ़ की राजनीति में कौन दिखाएगा दमखम !जब से बासवाडा संभाग की राजनीति में एक बार सांसद तथा दो बार मंत्री रहे महेंद्रजीत सिंह मालवीया ने कांग्रेस को अलविदा क्या कहा लगता है कांग्रेस गम में डूब चुकी है वहीं भाजपा में नई क्रांति के संचार को लेकर भाजपा पूरे दमखम के साथ महेंद्रजीत सिंह स्वागत सत्कार में कोई कमी नहीं छोड़ रही है वागड़ की राजनीति में मालवीय का अलग ही एक नाम व पहचान है आज उनके बारे में कांग्रेस पार्टी के राजनेता कुछ भी फ़त्तियां कसे लेकिन महेंद्रजीत सिंह मालविया को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि राजनीति में उन्हें चाणक्य भी कहा जाए या राजनीति का बेताज बादशाह भी कहा जाए तो काम नहीं यदि मालवीय ने सनातन में आस्था रखते हुए केसरिया रंग में रंग कर भाजपा का दामन थामा है तो उन्होंने सोच समझकर कांग्रेस को अलविदा कर भाजपा संगठन में आस्था जताई है इतना ही नहीं महेंद्र सिंह मालवीया ने अपना विधायक पद भी छोड़ दिया है ऐसे में आने वाला लोकसभा चुनाव में यदि भारतीय जनता पार्टी और संगठन उन्हें संसद के टिकट पर चुनावी चेहरा बनाकर चुनावी रण में भाजपा मालवीय को मौका देती है तो कहीं ना कहीं बांसवाड़ा डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस का कमजोर होना कहीं ना कहीं कांग्रेस को नुकसान दे सकते है चुकी पूर्व में जब मंत्री मालविया थे तब गुटबाजी के शिकार की बाते भी आती जाती रही थी मालविया क़यो कांग्रेस से खफा हुए आखर मालवीय को कौन सी टीस ने कांग्रेस को अववीदा होने के लिए कदम उठाना पड़ा यह तो मालवीय ही जाने मगर एक बात सत्य है कि वागड़ के राजनीतिक चाणक्य ने अब भाजपा में कदम रखा है तो कहीं ना कहीं कांग्रेस में गम और भाजपा में दम दिखाई देने लगा है अंदर खाने से खबर यह भी आ रही है कि डूंगरपुर बांसवाडा संसदीय क्षेत्र मेंममालविया के जो सिपा सलाहकार रहेववो भी अब धीरे-धीरे भाजपा की ओर सनातन में विश्वास कर केसरिया रंग में रंग आगमन कर सकते हैं यह तो वक्त ही बताया कि वागड की राजनीति का ऊट किस करवट बदलेगा यह तो वक्त ही बताएगा?

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