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केन्द्र/ राज्य सरकारों के अधीन आयोजित अधिकांश प्रतियोगी परीक्षाओं मे पेपर लीक व साल्वर गैंग लगता है कि लाइलाज रोग बन गया है

केन्द्र/ राज्य सरकारों के अधीन आयोजित अधिकांश प्रतियोगी परीक्षाओं मे पेपर लीक व साल्वर गैंग लगता है कि लाइलाज रोग बन गया है। सालोंसाल बच्चे तैयारी करते हैं और अधर मे ही अटक जाते हैं। अभी प्रदेश मे सिपाही भर्ती परीक्षा मे राज्य सरकार द्वारा अधिकतम आयु सीमा मे 3 साल की छूट देने के फलस्वरूप 48 लाख अभ्यर्थी परीक्षा मे बैठे जो विद्यमान बेरोजगारी का एक संकेतक भी है। इसमे भी सेंधमारी की कोशिश हुई और बड़े पैमाने पर लोग पकड़े गये। इससे पहले समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी परीक्षा भी पेपर लीक का शिकार हो चुकी है। ऐसी स्थितियां प्रायः सभी राज्यों मे आये दिन देखने को मिल रही हैं जो युवा पीढ़ी को कुंठाग्रस्त कर रही हैं और पूरे समाज के लिए चिंताजनक है। राज्य में चाहे मायावती सरकार रही हो, या सपा सरकार हो या वर्तमान में 7 साल से चल रही योगी महाराज जी की सरकार , या फिर केंद्र मे मोदी सरकार यदि सब मे कॉमन रहा तो प्रतियोगी परीक्षाओं मे पेपर लीक प्रकरण इसके बाबजूद भर्तियां होती रही जाँच के लिए stf जांच चलती रही result आते रहे, लेकिन भर्तियों मे पारदर्षिता का सर्वथा अभाव रहा। बात चाहे मायावती सरकार में निकली शिक्षक भर्ती 72825 की हो या योगीराज में आई 69000 शिक्षक भर्ती हो या लोक सेवा आयोग की भर्तियों की बात हो पेपर लीक होते रहे फिर भी भर्ती जारी रही। ये कहानी है।आगे राम जाने क्या होगा।

रिपोर्ट मुकेश कुशवाहा

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