बिस्कोहर । इमिलिया गांव में आयोजित सात दिवसीय सांगीतमय श्रीं शतचंडी महायज्ञ के दूसरे दिन बुधवार की रात कथा व्यास वासुदेवा चार्य महाराज ने श्रद्धालुओं के आत्मदेव के पुत्रो गोकर्ण और धुंधकारी की कथा सुनाया। उन्होंने कहा कि आत्मदेव की पत्नी के कोई संतान नहीं थी।पति की भक्ति को लेकर वह मन ही मन कोर्धित रहती थी । कथा वाचक ने भक्तों को बताया कि पत्नी से परेशान हो कर उसने एक दिन गुस्से में आकर ठाकुर जी की मूर्ति फेंक दी । इस आत्मग्लानि से ब्राह्मण आत्महत्या के इरादे से पर पहुंचा इससे पहले भगवान ने उसे दर्शन देकर प्रसाद के रूप में फल देकर संतान प्राप्ति के लिए पत्नी को खिलाने के लिए कहा । वापस आकर बाह्मण ने पत्नी से प्रसाद ग्रहण करने को कहा। लेकिन उसकी पत्नी ने फल स्वयं खाने की जगह गो माता और बहन को खिला दिया। यह प्रसाद ग्रहण के बाद उसके गाय ने गोकर्ण और बहन ने धुंधकारी पुत्र को जन्म दिया ।