
- देवबड़ला में भूतड़ी अमावस्या पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब
पुरातात्विक धरोहर देवांचल धाम देवबड़ला बिलपान में यूं तो प्रतिदिन ही भक्तों का आना-जाना लगा रहता है पुरातत्व विभाग की खुदाई में निकले हुए अद्भुत रचनात्मक व सुंदर अवशेषों एवं कलाकृति को देखने क्षेत्र ही नहीं अपितु बाहर से भी टूरिस्ट श्रद्धालु आते हैं मंदिर समिति के अध्यक्ष श्री ओंकार सिंह भगत सिंह व देवबड़ला स्मारक इंचार्ज कुंवर विजेन्द्र सिंह भाटी बताते हैं देवभूमि देववल्ला ऋषि मुनियों की तपोभूमि प्राचीन काल से ही रही है नेवज नदी का उद्गम भी इसी पहाड़ से हुआ है छोटे से रूप में कुंड में शीतल जल आता रहता है यूं तो इस जंगल में दूर-दूर तक कहीं पानी नहीं है लेकिन विलवैश्वर महादेव की कृपा से कुंड में हमेशा ही जल रहता है कभी भी कुंड सूखता नहीं है ये स्थान विंध्याचल पर्वत श्रेणी का नाभि स्थल माना जाता है यहां पर दो सुंदर कुंड बने हुए हैं बाबा विलवैश्वर महादेव के सामने वाला कुंड 10वीं-11वीं सदी का है तथा दूसरी बगल वाला बड़ा कुंड मंदिर समिति के अध्यक्ष श्री ओंकार सिंह भगत जी ने 70-80 वर्ष पहले अपनी युवावस्था में साथियों के सहयोग से बड़े कुंड का निर्माण करा था इसी कुंड से पवित्र जल लेकर बड़ी संख्या में श्रद्धालु हर अमावस्या एवं तीज त्योहार पर स्नान करने आते हैं यहां स्नान करने की मान्यता है यदि सच्ची श्रद्धा आस्था के साथ जो यहां स्नान करता है उसके संपूर्ण रोग दोष कष्ट दूर होते हैं और तन मन पवित्र रहता है इस बार अमावस्या पर कई शुभ योग एक साथ बने हैं यूं तो इस समस्या को स्नानदान श्राद्ध। अमावस्या,चैत्र अमावस्या,भूतड़ी अमावस्या कहते हैं परंतु इस बार सोमवती अमावस्या का योग भी बना है इस दिन पवित्र नदियों के घाटों पर स्नान दान कर महादेव की पूजा अर्चना करने से सुख शांति समृद्धि व अनेक फल प्राप्त होते हैं